दिल धकडता है इसलिये मै जिता हु
जितना भी गम है हसी से दिल मै छुपता हु
दिन मै थोडा बहुत तो अपनी मर्जी से जिता हु
अपना गम हसी के पीछे छुपा लेता हु ......
लेखक-कवी
अजय घाटगे
जितना भी गम है हसी से दिल मै छुपता हु
दिन मै थोडा बहुत तो अपनी मर्जी से जिता हु
अपना गम हसी के पीछे छुपा लेता हु ......
लेखक-कवी
अजय घाटगे
No comments:
Post a Comment