Tuesday, 14 January 2014

जिंदगी है मेरी

जिंदगी है मेरी चार दिन कि ये समज कर हि मै जिता हु
जन्नत मै जाऊंगा या नही मालूम नही.

लेकिन पे जो कायर रहते है उनसे मै हर वक्त दूर रहना पसंद करता हु .......

लेखक_कवी
अजय घाटगे

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