शायरी
शायर हम नाही थे मगर तुम्हारे लिये शायरी लिखनी पडती थी
जितनी शायरी लिखी उसमे कलम तुम्हारे लिये हि चलती थी
तुने जितनी शायरी पढी उतनी मैने तेरे लिये हि लिखी थी
ना जाने उस शायरी मै तू हि नजर आती थी ,
कभी कभी वही मेरी आंखोसे आसू तेरे लिये निकाल के जाती थी..
कवी :-
अजय घाटगे
०७.१०.२०१३
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